Tuesday 13 December 2016

संविधान : सर्वोच्च

संभव है शरीयत में बदलाव शीर्षक से लिखे अपने लेख में नाइश हसन ने बदलाव की नयी इबारत लिखीं है। आज बदलते समय के साथ कानून में बदलाव की महतीं आवश्यकता है।
                             आज का समाज शिक्षित है और तर्क शक्ति पर आधारित है। वह किसी भी नियम कानून का अनुपालन भेड़ चाल के समान नहीं करता अपितु यथार्थता की कसौटी पर परखता है । इसी का ही परिणाम है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपना फैसला मुस्लिम समुदाय की महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से लिया। यही बदलते दौर की आवश्यकता है। संविधान सर्वोच्च है और सभी भारतीयों के हित के लिए ही है।

Thursday 10 November 2016

तीन तलाक पर राजनीति

तीन तलाक पर हो रही राजनीति यह दर्शाती है कि अब हर समस्या में राजनीति लाभ खोजा जा रहा है। तीन तलाक एक सामाजिक समस्या है न कि कुराजनीति करने का एक मुद्दा।
                     इस समस्या का हल जनप्रतिनिधियों के कार्य स्थान भारतीय संसद में होना चाहिए। संसद को हिन्दू विवाह अधिनियम की भाँति मुस्लिम विवाह अधिनियम को संसद में सर्वसम्मति से पास कराना होगा। यही इस सामाजिक समस्या का सर्वसाधारण हल होगा। अन्यथा बाक़ी सब राजनीतिक लाभ के चलते संप्रदायी कुराजनीति ही होगी।