संभव है शरीयत में बदलाव शीर्षक से लिखे अपने लेख में नाइश हसन ने बदलाव की नयी इबारत लिखीं है। आज बदलते समय के साथ कानून में बदलाव की महतीं आवश्यकता है।
आज का समाज शिक्षित है और तर्क शक्ति पर आधारित है। वह किसी भी नियम कानून का अनुपालन भेड़ चाल के समान नहीं करता अपितु यथार्थता की कसौटी पर परखता है । इसी का ही परिणाम है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपना फैसला मुस्लिम समुदाय की महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से लिया। यही बदलते दौर की आवश्यकता है। संविधान सर्वोच्च है और सभी भारतीयों के हित के लिए ही है।
आज का समाज शिक्षित है और तर्क शक्ति पर आधारित है। वह किसी भी नियम कानून का अनुपालन भेड़ चाल के समान नहीं करता अपितु यथार्थता की कसौटी पर परखता है । इसी का ही परिणाम है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपना फैसला मुस्लिम समुदाय की महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से लिया। यही बदलते दौर की आवश्यकता है। संविधान सर्वोच्च है और सभी भारतीयों के हित के लिए ही है।